मेरे ज़ेहन से गुज़र कर
हाथों के रस्ते
सफ़ेद आकाश में
उड़ान भरतें हैं
नीले कबूतर
इन कबूतरों को
रब की उम्र लग जाये
Saturday, May 17, 2008
दरवाजा
दरवाजा जिसके पीछे गूंजती हैं बच्चे की किलकारियां दरवाजा जिसके पीछे से आती है किसी बुजुरग के खांसने की आवाज़ दरवाजा जिसके पीछे से सुनाई देती हैं किसी लड़की की दरदनाक चीख़ें दरवाजा जसके पीछे जपती है मां हरि का नाम क्या ये महज दरवाजा है१
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