मेरे ज़ेहन से गुज़र कर
हाथों के रस्ते
सफ़ेद आकाश में
उड़ान भरतें हैं
नीले कबूतर
इन कबूतरों को
रब की उम्र लग जाये
Saturday, June 14, 2008
शिव की अपनी आवाज़ में कुछ कविताएं
आइए आपको सुनाते हैं शिव कुमार बटालवी की ख़ुद की आवाज़ में कुछ कविताएं १ सिखर दुपहर सिर ते... २ की पुछदे ओ हाल फ़क़ीरां दा... ३ इक कुड़ी जिदा नां मोहब्बत... http://www.apnaorg.com/audio/shiv/
1 comment:
क कुडी जिदा नां मोहब्बत ...यह मैं बहुत दिनों से तलाश कर रही थी .आज मिला ..बहुत बहुत शुक्रिया
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