कौन कहता है कांटे प्यार नहीं करते
कोई कम्बख़त फूलों से पूछकर तो देखे
कौन कहता है हवाएं आगोश में नहीं भरतीं
कोई पेड़-पौधों से पूछकर तो देखे
कौन कहता है पत्थर धड़कते नहीं
कोई शिल्पकार बनकर तो देखे
कौन कहता है समुद्र रोता नहीं
कोई साहिल पर बैठ उसके आंसूं तो पोंछे
कौन कहता है ख़ामोशी बोलती नहीं
कोई ख़ुद से बातें करके तो देखे
4 comments:
बहुत बढिया!!
वाह! बहुत सुन्दर.
कौन कहता है हवाएं आगोश में नहीं भरतीं
कोई पेड़-पौधों से पूछकर तो देखे
"wah bhut sunder bhav"
aap bhut badhiya likhate hai. or bhi sundar likhe aesi meri kamana hai. likhte rhe.
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