Saturday, May 17, 2008

शून्य

शून्य
असंख्य तक की शुरुआत
शून्य
जिंदगी की शुरुआत
शून्य
बऱहम्मांड की शुरुआत
शून्य, शून्य नहीं
आगाज़ है।

3 comments:

मोहन वशिष्‍ठ said...

जीयो मेरे लाल पहली बार में ही नोबाल पर छक्‍का जड दिया तूने रे शून्‍य से 7 रन बिना किसी बाल के ही स्‍कोर हो गया है तुम्‍हारा

vijaymaudgill said...
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शायदा said...

अच्‍छा लगा देखकर। गुरू जी का झूठा पानी यहां भी भेजो जरा।