Tuesday, May 20, 2008

आगोश

जब एक बच्चा रोता है
तो मां उसे अपनी आगोश में लेती है
जब पत्नी नाराज़ होती है तो
पति उसे अपनी आगोश में लेता है
चिड़िया शाम को आती है
तो घोंसला उसे अपनी आगोश में लेता है
बारिश बरसती है
तो सिप्पी बूंदों को आगोश में लेती है
बहती हुई नदिया को
समुद्र अपनी आगोश में लेता है
और समुद्र को
अपनी आगोश में लेती है धरती
जब सांझ ढलती है
तो रात उसे अपनी आगोश में लेती है
और रात को अपनी आगोश में लेता है दिन
कितनी प्यारी है ये आगोश

1 comment:

vandana gupta said...

bahut achche.aagosh mein panaah har kisi ko nhi milti aur jise mil jaye to phir usse badhkar jannat nhi hoti.